वो लड़की भी हँस कर बोली- ठीक है तीन हैं तो कोई बात नहीं, जब पोर्न करना है तो ये सब क्या सोचना।
और अब जब उस मर्द की आवाज आई- और अगर यह वीडियो तुम्हारे घर के लोगों ने देख लिया तब?
वो फ़िर हँसकर बोली- तब क्या ? कुछ नहीं ! उन्हें भी मजा आए देख कर ! कोशिश तो यही करुँगी कि मेरी चुदाई देख कर उनको दूसरी कोई फ़िल्म पंसद न आए और वो बार-बार मेरी वीडियो को ही देखें।
फ़िर आवाज आई- ठीक है ! अब तुम अपने कपड़े उतारो और अपने घर वालों को और हमारे दर्शकों को भी अपने नंगे बदन की नुमाईश कराओ और देखो तुमको चोदने के लिए तीनों मुस्टंडे आ गये हैं। उसने खूब आराम से अपने कपड़े खोले और फ़िर पास आये तीनों मर्दों की तरफ़ बढ़ कर उनके पैन्ट खोल कर उनके लण्डों को बाहर खींच लिया। वो बारी-बारी से उन्हें चूस-चूस कर खड़ा कर रही थी। इसके बाद खूब जम कर उन लण्डों द्वारा उस लड़की की चुदाई हुई, बल्कि उसकी चूची, चूत, चुतड़ और गाल सब पर उसको कई थप्पड़ भी खाने पड़े, पर उसने खूब मजे लेकर चुदवाया। थप्पड़ लगने पर चीखती, फ़िर तुरंत ही उन मर्दॊं को उकसाने लगती और वो सब खूब जोर से उसको पेलते और फ़िर वो कराह उठती।
बड़ी गर्म फ़िल्म थी। मुझ जैसे अनुभवी की नसें गर्म हो गईं तो सानिया साली का क्या हाल हुआ होगा आप सब समझ सकते हैं।
इसके बाद रात को सानिया ने फ़िर मेरे साथ चुदाई का खेल खेला। साली को नई जवानी आई थी सो सब्र ही नहीं था, लगातार चुदा रही थी। दो बार चुदाने के बाद वो सोने की बात की, फ़िर हम दोनों सो गये।
अगली सुबह सानिया नंगी ही उठी और चाय बनाने चली गई। दोनों ने एक साथ बिस्तर पर बैठ चाय पीने के बाद कपड़े पहने और फ़िर रोज की दिनचर्या शुरु हुई। आज मुझे ऑफ़िस भी जाना था।
शाम को घर आने पर सानिया ने एक अनोखी बात कही।
रोज की तरह डीनर के बाद हम दोनों टहलने निकल गए और तभी सानिया ने अपने मन की बात की। उसने कहा कि वो एक बार जैसे रागिनी मेरे घर चुदाने आई थी वैसे ही किसी एकदम अनजान आदमी से चुदा कर देखना चाहती है।
यह सुन मेरा लण्ड एक झटके में खड़ा हो गया। ये साली ढंग से चार दिन नहीं चुदी थी और रन्डी बनने को तैयार थी। मुझे चुप देख वो घबरा गई, बोली- आप अम्मी-अब्बू से यह बात तो नहीं कहेंगे ना प्लीज।
उसके डरी देख मुझे मजा आया, मैं बोला- अरे नहीं बेटी, तुम डरो मत। यहाँ मेरे घर रह कर जो तुम कर रही हो वो बात तुम्हारे घर पर कोइ नहीं जानेगा। मैं तुम्हें बेइज्जत नहीं होने दूंगा।
उसको तसल्ली हुई तो फ़िर बोली- असल में चाचू, जब तक आपके घर हूँ, सब तरह का मजा कर लेना चाहती हूँ, अपने घर तो मुस्लिम कल्चर हैं इसलिए यह सब मजा लेने को नहीं मिलेगा। मैं एक दम अनजान के साथ एक बार सेक्स करना चाहती हूँ कि कैसा लगता है। आप कोई उपाय कीजिए न प्लीज।
मैंने देखा कि साली एक दम चुदास से बहक कर बोल रही है तो कहा- ठीक है देखता हूँ कि क्या कर सकता हूँ, पर तुमको ऐसा करके डर नहीं लगेगा?
वो बोली- यही डर तो खत्म करने के लिए ऐसे चुदना चाहती हूँ। आपके साथ करने में भी तो डर था, पर अपनी अन्डरवीयर दिखा कर पटा लिया ना आपको, अब जब मन होगा आपके साथ तो कर ही लूंगी। अम्मी-अब्बा को ना आप बताएँगे ना मैं।
मैं समझ गया कि अब साली बिना रन्डी बने मानेगी नहीं, तो मैंने सोचा को अब एक बार दलाली मैं भी कर लूँ। सानिया साली जैसी मस्त माल का दलाल बनना भी कम किस्मत की बात नहीं थी।
मैंने सूरी को फ़ोन लगाया-"यार सूरी, एक लड़की है, बहुत मस्त। उसको सिर्फ़ एक बार के लिए बुक कर दो आज-कल में। नहीं-नहीं घंटा वाला नहीं, फ़ुल टाईम। हाँ दिन में भी ( मैंने सानिया से इशारे से पूछा और सानिया ने हाँ की) कर सकते हो। पर उसको मर्द थोड़ा सही देना। बच्ची है। हाँ, अपनी ही समझो, घर की बच्ची है, जरा मस्ती के मूड में है। अरे यार सूरी, नहीं, मैं तो ठीक है पर उसका मन जरा पैसा कमाने का है। नहीं बस एक बार अभी। ठीक है, तुम फ़ोटो ले लो एक उसकी। किधर हो? वाह, फ़िर आ जाओ मेरे घर मैं हूँ, ओके।
मैंने अब सानिया से कहा- सूरी इसी इलाके में है, अभी आ कर तुम्हारी फ़ोटो ले लेगा, फ़िर एक दो दिन में कोई फ़िक्स कर देगा। पर तुम एक बार सोच लो।
सानिया बोली- अभी पूरा एक हफ़्ता है ना अम्मी को आने में ! तब तक तो हो जायेगा ना एक दिन कोई?
मैं उसकी बेताबी देख हैरान था। करीब आधे घन्टे बाद सूरी आ गया। मैंने सानिया को बुलाया। सूरी उसकी सुन्दरता पर दंग था। एक पल के लिए तो सन्न था सानिया के मक्खन बदन से नजर ना हट रही थी साले भड़वे की।
सानिया सर नीचे करके खड़ी थी सामने।
मैंने ही कमरे की शान्ति भंग की- यही लड़की है सूरी, कब तक सेट कर दोगे? मेरे घर तीन दिन है। (मैंने झूठ कहा, ताकि जल्दी काम हो), जिसमें एक दिन तुम इसको ले जा सकते हो।
सूरी बोला (उसकी आवाज हल्का सा लड़की जैसा लगता था)- अरे सर, ऐसी चीज के लिए तो लाईन लगा दूँगा। एकदम फ़्रेश दिख रही है, कहाँ से लाये सर?
उसकी आवाज में शरारत थी।
मैंने कहा- अरे कहा ना घर की लड़की है। यार हमेशा दूसरे की बेटी चोदता हूँ तो फ़र्ज बनता है कि अपने घर से भी थोड़ा दे दूँ दुनिया के लिए।
मैं अपनी ही बात पर हँस दिया।
वो बोला- हाँ सर, हम लोग तो धर्म का काम करते हैं, लड़के को लड़की से मिला देते हैं और लड़की को पैसे दिला देते हैं, दोनों खुश और हम भी खुश।
हम दोनों हँस दिए।
सानिया बोली- मैं पानी लाती हूँ।
और चली गई।
शायद उसको शर्म आ रही थी अब।
मैंने सूरी को बता दिया कि सानिया को मैं रोज चोद रहा हूँ, जब से वो शुरु हुई है, और अब वही चाहती है कि थोड़ा स्वाद बदल कर देखे और पैसा भी कमा ले।
मैंने कहा कि तब मुझे सूरी की याद आई कि क्यों न सूरी भी थोड़ा कमा ले, वर्ना जब लड़की का मन हो गया तो उसको चोदने वाले बहुत मिल जाएँगे।
सूरी मेरा अहसान माना और बोला- सर अगर यह हफ़्ते में एक बार भी आए ना तो मेरा 5000 पक्का हो जायेगा। तभी सानिया पानी ले कर आ गई। सूरी ने उपर से नीचे तक उसको घुरा फ़िर उसके चारों तरफ़ घूम कर उसको सब तरफ़ से देखा, बोला- बहुत सही चीज खोजी है सर आपने ! इसके एक रात की बुकिंग दस हज़ार की करुँगा कम से कम।
फ़िर सानिया से बोला- क्यों ठीक है? 10000 तुमको मिल जायेगा, पर एक बार मेरे साथ करना पड़ेगा फ़्री, मेरा कमीशन यही होगा पहली बार का। उसके बाद तुमको जो मिलेगा उस्का 20% मेरा, और मेरे लिए 500 पर शॉट। मंजूर है तो बोलो?
सूरी थोड़ा भारी बदन का था, और ऐसे तो कोई सेक्सी लड़की उससे नहीं चुदाती, पक्का। सानिया को यह सब समझ नहीं आया ठीक से, तो वो मुझे देखने लगी।
मैंने कहा- अरे बेटी, सब ठीक है, पहली बार करा लो, फ़िर बाद का बाद में सोच लेना। आगे तो तुम्हारी मर्जी है।
सानिया ने हाँ कर दी। सूरी ने उसको टॉप और पैन्ट खोलने को कहा, और फ़िर ब्रा पैन्टी में उसकी अपने मोबाईल में 3-4 फ़ोटो खींची, फ़िर चला गया।
सानिया कपड़े पहनने लगी तो मैंने कहा- क्यों अब सिर्फ़ दस हज़ार देने वाले से ही चुदाओगी क्या, फ़िर मेरा क्या होगा?
बच्ची शरमा गई, और मैं उसको अपने बाहों में उठा कर बेडरूम में आ गया।
आगे की बात आप को पता है, कि क्या हुआ होगा उस माल के साथ जब मेरे जैसा चुदक्कड़ हरामी बिस्तर पर हो तो।
अगले दिन सुबह 8 बजे सूरी का फ़ोन आया- सर, आज दस बजे उसको तैयार रहने बोलिए, कल सुबह तक के लिए बुक किया है उसको। बहुत किस्मत से मेरे एक क्लाईंट का फ़ोन आया अभी। पाकिस्तानी हैं, अबुधाबी में रहते हैं। बाप-बेटा हैं पर एक साथ ही लड़की चोदते है। पूरी दुनिया में बिजनेस है उनका। जहाँ जाते हैं पहले एक दिन सिर्फ़ वहाँ की स्थानीय लड़की चोदते हैं। पैसा बहुत देते हैं सर। उसको बीस हज़ार में बुक किया है, आज दिन और फ़िर रात के लिए। काफ़ी भाग्यशाली है यह माल। पहली बार ही बुड्ढा और जवान दोनों मिल जायेंगे उसको।
सानिया तब बाथरुम में थी। मैंने जब उसको बताया तो वो बहुत खुश हुई।
मैंने कहा- मुझे ट्रीट देना पड़ेगा !
तो वो जवाब में बोली- रोज तो आपको टीट(चुची) देती हूँ, अभी ट्रीट बाकी है क्या?
सानिया ने शब्दों से अच्छा खेला था। फ़िर मेरे ऑफ़िस जाते समय वो भी साथ ही घर से निकली। रास्ते में मैंने सूरी को फ़ोन किया कि सानिया को मैं कहाँ छोड़ूँ !
सूरी ने सानिया को एक चौराहे पर छोड़ने को कहा कि वो खुद सानिया को लेकर के होटल ले जायेगा।
सूरी हम लोग का वहाँ इंतजार कर रहा था। मैंने सानिया को "बेस्ट ऑफ़ लक" कहा और ऑफ़िस के लिए निकल गया।
मेरे दोस्त की बेटी सनिया खान एक टीपिकल मुस्लिम लड़की बनी हुई थी। आज उसने सफ़ेद जौर्जेट का हल्का कामदार सलवार-सूट पहना था और हरे दुपट्टे को सर पर से ओढ़ा था। उसका गोरा चेहरा सुर्ख हो कर दमक रहा था। पूरे आत्मविश्वास के साथ वो मुझे बाय करके सूरी की गाड़ी में बैठ गई।
सूरी ने कहा- सर, सुबह को आठ बजे तक इसकी बुकिंग है, फ़िर एक-सवा घन्टा मैं इसके साथ हूँगा और करीब दस बजे तक मैं इसको आपके घर के पास छोड़ दूँगा।
इसके आगे की बात सानिया के शब्दों में : क्योंकि जब वो लौटी तो अगले एक दिन उसने मुझसे नहीं चुदवाया और इस दौरान उसने जो बताया वही मैं लिख रहा हूँ।
उसने तीन बार नोट-बुक को पढ़ा और फ़िर जब अपनी कहानी से संतुष्ट हो गई तब खुश हो गई कि अब वो भी कहानी लिख सकती है।
तो पढ़िए सानिया की कहानी सानिया की जुबानी !
सूरी मुझे होटल पोल्का में एक स्यूएट में ले गया। वहाँ पहले से ही दोनों मौजूद थे। बाप का नाम था वकार अली खान और बेटे का आसिफ़ अली खान। बेटा 25-26 साल का खूबसूरत मर्द था जबकि बाप 55 साल के करीब होगा, मेरे अब्बा से बड़ा था उमर में पर फ़िट था। बाल सब सफ़ेद हो गये थे पर दिखने में वो भी अच्छा था।
मुझे देख दोनों बहुत खुश हुए और सूरी से कहा- इसीलिए सूरी हम तुम्हें ही खोजते हैं। तुम माल बहुत जानदार लाते हो।
सूरी भी दाँत निकाल कर हँसा और झूठ कहा- सर आपके लिए इसको लखनऊ से बुलवाया है। इसकी मौसेरी बहन सबीहा मेरे साथ टीम में है, वही इसको लाई है। एक दम घर की चीज है सर। आप चखेंगे तो खुद समझ जाएँगे।
वकार अली बोला- देखने में तो हूर है, पर थोड़ा अनुभवी भी हो तो मजा ज्यादा आयेगा। कच्ची लड़की चुदाते समय बहुत ड्रामा करती है।
इस पर सूरी बोला- कच्ची नहीं है सर, घर पर चुदी है, दो-चार बार अपने रिश्ते के एक चाचा से। सबीहा के साथ तो हमेशा ही मजे करती है, जब सबीहा इसके घर जाती है।
फ़िर मुझसे कहा- तुम भी बोलो न, सर जो कह रहे हैं तो बात करना चाहिए।
फ़िर उन दोनों से बोला- पहली बार आज होटल में आई है सर, इसलिए शायद सकपका रही है।
आसिफ़ चुपचाप बैठ कर मुझे घूर रहा था, उसके अब्बा ही सारी बात कर रहे थे। उन्होंने सूरी को एक बीयर ऑफ़र किया और मुझसे पूछा- तुम भी लोगी क्या?
तो मैंने मना कर दिया। सूरी ने जब तक बीयर पी, वकार ने पैसे उसको दे दिए।
सूरी ने मुझसे पूछा- पैसे तुम रखोगी?
मैंने ना में सर हिला दिया, तो वो सब पैसे अपने साथ ले कर निकल गया कि वो अब कल सात बजे आ जायेगा।
सूरी के जाने के बाद वकार ने मुझसे मेरा नाम पूछा तो मैंने अपना असली नाम सानिया खान बता दिया।
उन्होने फ़िर पूछा- पठान हो?
मैंने हाँ मे सर हिलाया तो पहली बार मुझे छुआ उन्होंने। मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर बोले- डरो मत, इस तरह चुप मत रहो। बात करो ! तुम तो चुदा चुकी हो, तुम्हें सब पता है। तुम्हारी मर्जी है ना इस काम की, या सूरी किसी मजबूरी में पकड़ लाया है?
मैंने कहा- ऐसी बात नहीं है। मुझे यह सब करने में मजा भी बहुत आता है।
अब आसिफ़ पहली बार बोला- कुछ खाओगी, मँगाऊ?
तो मैंने कहा- मैं नाश्ता करके आई हूँ।
वकार अब बोले- आसिफ़ बेटा, ले जाओ इसको बेड पर और तुम्हीं पहले चोद लो इसको, जवान हो तुम बार बार चोद सकते हो। मैं शाम में एक बार चोदूँगा। साढ़े ग्यारह बज गए हैं, डेढ़ बजे के लिए लंच ऑर्डर कर देता हूँ।
ओके अब्बू ! कहते हुए असिफ़ उठ गया।
वकार ने रुम सर्विस को ऑर्डर किया- चार बीयर अभी और खाना डेढ़ बजे।
आसिफ़ बेडरूम के दरवाजे पर पहुँच कर मुझे बोला- आ जाओ सानिया डार्लिंग !
और मैं भी उठ कर पीछे पीछे चल दी। वकार हँसते हुए पास आया और मेरा दुपट्टा मेरे बदन से खींच लिया, कहा- पहले बुजुर्ग से इजाजत लो बेटी !
मैं सिटपिटा गई, तो वो हँसा और मेरे चेहरे पर नजर गड़ा कर कहा- जाओ और मेरे बेटे को अपने बदन का पूरा मजा दो।
आसिफ़ अब बोला- अब्बूज़ान, आप इसको ठीक से चेक कर लो ना पहले। तब तक मैं जरा फ़ारिग हो ही लूँ ! फ़िर जरा जम के लूटूँगा इसे। ऐसी मस्त हूर जैसी चीज हरदम नहीं मिलती !
और उसने पेट पर हाथ फ़ेरा कि उसे टट्टी जाना है। मुझे कहा- जाओ अब्बूज़ानी का एक बार चूस कर खाली कर दो।
मुझे समझ आ गया कि ये दोनों बाप-बेटे मिल कर आज मुझे एक बार की बुकिंग में ही रन्डीपने की डिग्री देने लायक पढ़ा देंगे। मेरी चूत गीली होने लगी।
आसिफ़ बाथरुम चला गया और वकार ने इशारे से मुझे अपने पास बुलाया और अपने पजामे की डोरी को ढीला कर दिया। साफ़ था कि मुझे अब उसका लण्ड चूसना था।
मैंने पजामा नीचे खींच दिया। उसका लण्ड लगभग सिकुड़ा हुआ था, करीब 5"। थैली भी ढीली थी, पर बड़ी थी और उसके भीतर का दोनों गोटी साफ़ दिख रहा था फ़ूली हुई। लण्ड के चारों तरफ़ बड़ी-बड़ी झाँटे थी और उसमें से कई बाल सफ़ेद थे। लण्ड का सुपारा भी थोड़ा सफ़ेद रंगत लिए था।
मैंने लण्ड हाथ में लिया और मुँह में डाल चूसने लगी। वकार का वो इलाका हल्के पसीने की खुश्बू या बदबू से भरा था, पर मुझे तो ये सब कहना नहीं था। धीरे-धीरे लण्ड में ताव आने लगा। जब वो 6" का हो गया तब वकार बोला- बेटा अब तुम भी कपड़े हल्के कर लो। तुम्हारे तराशे हुए बदन को देख यह साला जल्दी निपट जायेगा।
मैं उठी और कुर्ते के ऊपर के दो बटन खोल कर उसको अपने सर के ऊपर से निकाल दिया। फ़िर मैंने अपनी सलवार को खोला और अपने पैरों से बाहर कर दिया।
वकार सब देख रहा था। मैंने अब अपनी सफ़ेद शमीज भी उतार दी। फ़िर पहली बार वकार से नज़र मिलाई। अभी मेरे बदन पर एक सफ़ेद ब्रा और काली पैन्टी थी। मैंने अपना हाथ पीछे किया और ब्रा का हुक छुआ हीं था कि वकार बोला- अब रहने दो, कुछ आसिफ़ के सामने खोलना।
मैं रुक गई और एक बार फ़िर उसका लण्ड चूसने लगी। वो अब मेरे पीठ और चूचियों पर अपने हाथ घुमा रहा था। मेरा बदन हल्की सिहरन से भर रहा था और चूत भी गीली हो रही थी। वो मेरे लण्ड चूसने की कला की दाद देता और मैं और जोर से चूसती।
तभी आसिफ़ आ गया और पास आकर मेरी ब्रा का हुक खोल दिया, जिसके बाद उसके अब्बा का हाथ अब मेरे चुचूक से खेलने लगा और मैं सिसक उठी।
वकार यह देख आसिफ़ से बोला-"बहुत ताज़ा माल दिया है सूरी इस बार, पूरा पैसा वसूल।
वकार अब छुटने वाला था, तब वो बोला- तुमको मेरा सारा मणि खा जाना है।
मेरे लिए यह कोई नई बात नहीं थी, पर यह शब्द नया था, शायद पाकिस्तान में वीर्य को मणि बोलते हैं। मुझे तो हिन्दी के शब्द ही आते थे। मैं मुँह खोल कर सामने जमीन पर बैठ गई और वकार ने हाथ से अपना लण्ड हिला-हिला कर पिचकारी मारी। छः बार में सारा वीर्य मेरे मुँह में डाल दिया जिसे मैं चाट गई।
अब उसने मेरा मुँह चूम लिया और बोला- अब जाओ और आसिफ़ से चुदो अच्छे से।
वकार अब छुटने वाला था, तब वो बोला- तुमको मेरा सारा मणि खा जाना है।
मेरे लिए यह कोई नई बात नहीं थी, पर यह शब्द नया था, शायद पाकिस्तान में वीर्य को मणि बोलते हैं। मुझे तो हिन्दी के शब्द ही आते थे। मैं मुँह खोल कर सामने जमीन पर बैठ गई और वकार ने हाथ से अपना लण्ड हिला-हिला कर पिचकारी मारी। छः बार में सारा वीर्य मेरे मुँह में डाल दिया जिसे मैं चाट गई।
अब उसने मेरा मुँह चूम लिया और बोला- अब जाओ और आसिफ़ से चुदो अच्छे से।
मैं उठी तो आसिफ़ ने मेरी पैन्टी खींच दी, कहा- इतना सा बदन अब्बू से क्यों छुपा रही हो, सब दिखा दो एक बार फ़िर चलना।
मैं उठी और अपना पैन्टी खोल दी। आज सुबह ही जब मुझे चाचू ने बताया तो अपने झाँट को साईड से साफ़ की थी, जिससे 1" चौड़ी पट्टी में पिछले 5-6 दिन में उगे छोटे-छोटे काले-काले झाँट मेरी गोरी बुर की खूबसूरती को और बढ़ा रहे थे।
मेरी ऐसी मस्त चूत देख दोनों के मुँह से एक साथ आह निकली और फ़िर निकला- सुभानल्लाह !
आसिफ़ बोला- अब चल पहले चोदूँ तुमको वरना अफ़सोस होने लगेगा कि देरी क्यों की।
मैं बोली- पहले बुर को धो लूँ, बहुत गीली हो गई है और रास्ते में आते समय गर्मी से थोड़ा पसीने की भी बदबू आ रही है।
मुझे तो वकार के पसीने की बू याद आ रही थी। पर आसिफ़ की बेकरारी में कोई फ़र्क नहीं पड़ा, बोला- अबे चल, जवानी लौन्डी की बुर के पसीने की बू से यार लोग का लौड़ा ठनक जाता है। अभी तक घर में चुदी है ना, इसीलिए बदबू/खुश्बू की बात करती है। कुतिया की चूत से बदबू कभी नहीं आती। अपने अब्बा के देखते झुका और चूत की फ़ाँक से शुरु करके हलके झाँटों वाली पट्टी तक अपने जीभ से चाट लिया।
मेरा बदन गुदगुदी से भर गया। उसने एक चपत मेरे चूतड़ों पर लगाई और बेडरुम की तरफ़ बढ़ गया।
बिस्तर पर लिटा वो मेरे चूत के पीछे पड़ गया। लगातार जोरदार तरीके से चाटा, या कहिए खाया उस पूरे इलाके को। मेरे मुँह से अजीब-अजीब आवाज निकली, जो पहले नहीं निकली थी और मैं एक बार झड़ी तो उसने पूरी बुर उँगली से खोल चाटा। मैं शान्त हो गई थी। पर आसिफ़ पक्का हरामी था। उसने अब अपनी पैन्ट खोली और पहली बार मैंने उसके लण्ड को देखा। नौ इन्च से कम न था, गहरा भूरा और खूब मोटा। उसकी चमड़ी देख लगा नहीं था कि उसका लण्ड इतना काला होगा। मुसलमान था, सो खतना किया हुआ था और उसके लण्ड की चमड़ी उसके आधे लण्ड से ज्यादा नहीं पहुँच रही थी।
मैं एक बार झड़ कर शान्त लेटी थी, इतनी मस्ती कभी मिली नहीं थी पहले। शायद माहौल का असर था। पर आसिफ़ का इरादा कुछ और था। उसने बिना कुछ बोले मेरे पैरों को फ़ैलाया और ऊपर चढ़ गया। मैं जब तक कुछ समझूँ उसने मेरे चूत में अपना लण्ड ठांस दिया। दो धक्के में पूरा नौ इन्च भीतर। मैं दर्द से बिलबिला उठी- उईईई माँआँआआँ, छोड़ो मुझे प्लीज !
आज पहली बार चुदाते समय अम्मी याद आई और आँखों में आँसू आ गए। आसिफ़ बोला- अब चुप भी कर साली रन्डी ! दलाल को बीस हज़ार देकर चलता कर दिया और अब चुदाने में नानी मर रही है? ज्यादा नखरे ना कर और आराम से चुद पहले। ऐसे ही लण्डों की बदौलत तो तू बाज़ार की रानी बनेगी एक दिन।
मैं रोने लगी थी, सोचा था कि सब, चाचू ने जैसे रागिनी को चोदा था, वैसे चोदते हैं।
रागिनी की बात सब याद आई।
पर मुझे रोता देख आसिफ़ प्यार से समझने लगा- देख चुप हो जा, अभी तू नई है, इसलिए तकलीफ़ है, पर तू तो चुदी हुई है पहले से, फ़िर क्यों डर रही है? आम लोगों से मेरा थोड़ा बड़ा है पर अपनी तरह का अनोखा मजा देगा जब भीतर तक धक्के खाएगी तू। पहले मेरे दो-चार धक्के बर्दाश्त कर ! फ़िर खुद से फ़ुदक फ़ुदक कर मरवायेगी अपनी चूत !
सच ! जल्दी ही मेरी बुर उसके इस भारी भरकम लण्ड के धक्के बर्दाश्त कर के एक बार फ़िर पानी छोड़ने लगी और कमरा हच-हच, फ़च-फ़च की आवाज से भर गया।
दस-बारह मिनट मेरी चूत ठोकने के बाद आसिफ़ ने लण्ड बाहर खींचा और कहा- चल चूस अब इसको।
मैं हिचक रही थी क्योंकि लण्ड पर मेरे चूत का गीलापन लगा हुआ था। एक बार चेहरा पास ले गई पर मन न हुआ, बोली- इसमें से कैसी खट्टी सी बू आ रही है।
आसिफ़ हँसा-"अबे, यह बू ही तो खुशबू है, बताया था न तुझे। और यह खट्टी बू तेरी ही मस्त चूत की है। अब आजा बच्ची ! देर ना कर ! अभी तुझे पीछे से ठुकना बाकी है।
मैंने लण्ड मुँह में डाला और खुद की चूत के पानी का स्वाद लिया। पाँच मिनट में बिना कोई चेतावनी के आसिफ़ मेरे मुँह में झड़ गया और बोला- बिना रुके चूसती रह।
उसका लण्ड हल्का सा ढ़ीला हुआ और फ़िर जल्द ही टनटना गया। इस बार आसिफ़ ने मुझे पलट दिया और जैसे कुत्ता कुतिया पर चढ़ कर चोदता है, वैसे मुझे चोदा। हर धक्के पर मस्ती से मैं कराह उठती और वो आवाज सुन एक और धक्का और जोर से देता। ऐसे ही मैं थकने लगी और धीरे-धीरे बिस्तर की तरफ़ झुकने लगी। जल्द ही मैं लगभग बिस्तर पर पेट के बल हो गई, और आसिफ़ मेरे ऊपर लेट मेरी चुदाई करता रहा। मेरे नीचे हो जाने से उसको अब परेशानी हो रही थी धक्का लगाने में, तो बोला- चल अब पलट, सीधी हो। इस बार की ठुकाई में तेरी चूत को भर देता हूँ मणि से।
अब मुझे याद आया कि ऐसा तो मैंने सोचा न था, अब अगर इसके वीर्य से मुझे बच्चा रह गया तो। पर मैं कुछ बोलने की हालत में न थी। बस एक बार अल्लाह को याद किया और सीधी हो कर पैर खोल कर ऊपर उठा दिए। आसिफ़ ने अपने लण्ड को तीन बार मेरे चूत की ऊपर की घुन्डी पर पटका। उसकी चोट मुझे एक अजीब सी मस्ती दे रही थी कि तभी उसने एक झटके में पूरा नौ इन्च भीतर पेल दिया।
मैं अब आआह उउउउह इइइस्स्स हुम्म्म्म्म जैसी आवाज कर रही थी। मैं एक बार और झड़ चुकी थी पर आसिफ़ अपनी धुन में मुझे चोदे जा रहा था। फ़िर 5-6 तगड़े झटके के साथ उसके वीर्य ने मेरी चूत की प्यास बुझा दी। आसिफ़ ने अपना लण्ड भीतर ही घुसा कर रखा था।थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही शान्त पड़ रहे फ़िर उसने अपना लण्ड निकाला और मेरे मुँह में डाल दिया- साफ़ कर चाट कर इसे मेरी कुतिया !
और प्रोफ़ेसर जमील अहमद खान की प्यारी इकलौती बेटी बीस हज़ार लेकर एक रन्डी की तरह चुदाने के बाद अब लण्ड पर लगे हुए वीर्य को चाट रही थी।
तभी बाहर से वकार ने आवाज लगाई- अब खत्म करो भाई ! एक से ज्यादा बज गए, खाना आ जायेगा अब। थोड़ा आराम भी करो खाने से पहले।
करीब डेढ़ घंटे से मैं लगातार चुद रही थी। अब मुझे लगा कि हाँ, यह अनुभव हमेशा याद रखने वाला है।
मैं उठी और सिर्फ़ सलवार और शमीज पहन ली। तभी रुम-सर्विस खाना ले आया। दोनों वेटरों के लिए यह सब देखना नई बात नहीं थी।
मेरी सलवार और शमीज के बीच से करीब 5" के सपाट पेट पर उन वेटरों की नज़र बार-बार जा रही थी। 20-22 साल के नौजवान वेटरों को दिखा कर जमीन पर पड़ी हुई अपनी ब्रा और पैन्टी उठाई। मेरे झुकने से उनको मेरी सुन्दर चूचियों की झलक मिल गई।
चूत में जो वीर्य भरा हुआ था अब हल्के-हल्के बाहर आने लगा था। मैंने सब को दिखा कर अपनी सलवार की मियानी से अपनी चूत को पौंछा और फ़िर गीली हुई मियानी को देख कहा- भीतर निकाल दिया, देख लीजिए, कपड़े खराब हो गए।
वकार हँस दिया- अरे बच्ची, अगर पेट से रह जायेगी तो पूरा ताजमहल बिगड़ जायेगा और तू कपड़े की चिन्ता कर रही है।
बेशर्म बूढ़ा मेरी फ़िगर की बात कर रहा था। मुझे अब उन दोनों के साथ मजा आ रहा था। आसिफ़ मेरे बदन की खूब तारीफ़ कर रहा था और उसका बाप मजे लेकर सुन रहा था, फ़िर पूछा- तुझे मजा आया ना बेटा इसको चोद कर?
आसिफ़ खुशी से बोला- बहुत अब्बा, चूत तो बिल्कुल कसी हुई है। पर लौन्डिया मस्त है, आँखों से आँसू निकल आए जब दो ही धक्कों में पेल दिया था पूरा भीतर। यह रान्ड साली इतनी सुन्दर है कि मैं बेकाबू हो गया। पर क्या मस्त चुदी अब्बा, अम्मीजान की कसम मजा आ गया।
हम सब ने साथ खाना खाया और वकार ने कहा कि मैं दो घन्टे आराम कर लूँ। क्योंकि शाम की चाय के पहले वह मुझे चोदेगा और फ़िर रात में तो मुझे लगातार चुदना है। मैं भी आराम से बेड पर जा कर आराम करने लगी और मुझे नींद आ गई।
करीब साढ़े चार बजे मुझे लगा कि कोई मेरा चेहरा सहला रहा है, तो हड़बड़ा कर उठी।
वकार बिल्कुल नंगा मेरी बगल में लेटा हुआ था। मुझे जगा हुआ देख वो मेरे मुँह को चूमने लगा और फ़िर अपने मुँह से ढ़ेर सारा थूक मेरे मुँह में गिरा दिया। मैं इसके लिए तैयार नहीं थी, पर वो मेरी हकबकाहट देख खुश हुआ और बोला- निगल ले मेरा थूक, जब मेरा मणि खा सकती है तो मेरे थूक से क्या परेशानी।
मुझे अब समझ आ या कि मैं तो उसके लिए एक रन्डी थी, और मुझे वही करना था जो वो कहे।
मैं जब य्हूक निगल गई तो वो मेरे ऊपर चढ़ कर लेट गया, मुझे अपने बदन से पूरी तरह से दबा कर और फ़िर से मेरे होंठ चूसने शुरु कर दिए। फ़िर पलट गया और वो नीचे था, मैं ऊपर ! होंठ से होंठ मिले हुए।
तभी वो मेरे चूतड़ सहलाने लगा और फ़िर अचानक मेरी सलवार की मियानी पकड़ कर उसे एक झटके से करीब 4" फ़ाड़ दिया।
मैं चौंक गई- हाय अल्लाह, अब मैं घर कैसे जाउँगी?
मैं एकदम से परेशान हो गई और बिस्तर पर बैठ गई। वकार मेरी बेचैनी देख हँस पड़ा, बोला- क्यों ? फ़टी सलवार पहन कर जाना, अम्मा खुश होएगी। इतना सज धज के आई है तो तेरी अम्मी को पता तो चले कि बेटी सही से चुदी, क्यों?
उस हरामी को कहाँ पता थी कि मेरे अम्मीजान को जरा भी अंदाजा न था कि बेटी रन्डी बन चुद रही है। पर ऐसी मजबूरी में मेरी आँख फ़िर नम होने लगी, तभी वह बोला- अरे खुश हो जा, तुझे नये कपड़े में विदा कर देंगे। आसिफ़ को भेजा है, तेरे लिए नये कपड़े लेने। इससे अच्छे कपड़े में घर जाना।
मेरे चेहरे को अपने हाथ में पकड़ बड़े प्यार से पूछा- अब तो खुश है तू। देख अगर तू दुखी होगी तो चोदने का मजा कम हो जाएगा। अरे तू इतनी हसीन है, जवान है कि तेरे साथ शरारत करने का मन बन गया। अब हँस भी दे।
उसके ऐसे मनाने से मुझे दिल से खुशी हुई और मैं मुस्कुरा दी।
वो भी मुस्कुराया- जवान लौन्डिया को कपड़े फ़ाड़ कर चोदने में जो मजा है वो किसी चीज में नहीं है।
और मेरे छाती पर हाथ रख मेरी शमीज को भी चीर दिया। मेरी दोनों चूचियों को देख हल्के से उन पर चपत लगाया तो वो हल्के से हिल गए। उनके हिलते देख वो खुशी से बोला- देख कैसे ये कबूतर मचल रहे हैं और 3-4 चपत और लगा दए। इसके बाद उसने मुझे पूरी तरह से नंगा कर दिया और मेरी चूत चूसने लगा। धीरे-धीरे मुझमें मस्ती छाने लगी और तब मुझे मस्त देख बुढ़्ढ़ा मेरे पैरों के बीच आ अपना लण्ड मेरी चूत में घुसा कर धक्के लगाने लगा। बीच-बीच में चूची पर चपत भी लगा रहा था और मैं मस्त थी।
थोड़ी देर बाद वो लेट गया और मुझे ऊपर से उसके लण्ड की सवारी करनी पड़ी। 2-3 मिनट बाद वो फ़िर मुझे नीचे लिटा दिया और ऊपर से मुझे चोदने लगा। वो अब तेजी से धक्के लगा रहा था और मैं मस्त हो गई थी। तभी लगा वो झड़ रहा है। 4-5 झटके के बाद उसका माल मेरी चूत में निकल गया। वो मेरे ऊपर लेट मुझे चूमने लगा फ़िर उठा और बोला- जाओ, अब हाथ मुँह धो लो। खाकर सो गई थी सो मुँह से हलकी बास आ रही है।
मुझे याद आया कि मुझे उठने के बाद मौका ही नहीं दिया था साला हरामी। तभी आसिफ़ लौट आया एक बड़ा सा पैकेट ले कर और हम दोनों को नंगा देख पूछा- चोद लिया इसको अब्बू?
वकार बोला-"हाँ बच्चे, गीले खेत में बीज डाल दिया इस बार।
यह सुन मैं मस्त हो गई, और थोड़ी चिंतित भी। मैं बाथरुम में चली गई।
मैं जब नहा कर आई तो आसिफ़ मेरे साथ सेक्स करने के लिए तैयार था। एक बार मुझे उसने अपने अब्बू के सामने चोदा और फ़िर मुझे वो पैकेट दे दिया कि अब मैं ये कपड़े उन बाप-बेटों के सामने पहनूँ।
मैं नंगी ही उठी और बाथरुम में जा कर अपने आप को साफ़ किया फ़िर नंगी ही लौटी और पैकेट खोला। उसमें एक खूबसूरत सा गुलाबी सिल्क का जरी-काम वाला डिजायनर सलवार-सूट था और एक लाल रेशमी धागे से काम किया हुआ मैरून रंग का ब्रा-पैन्टी का सेट।
मैंने एक-एक कर के कपड़े पहने और आसिफ़ सामने खड़ा हो कर मेरे बदन और मुझे कपड़ों को एक-एक कर पहनते हुए अपने मोबाईल फ़ोन से वीडियो बनाता रहा। हम सबने रात का खाना खाया। वो दोनों भी थक गये थे, सो अब हम सब बैठ कर टीवी देखने लगे और इधर-उधर की बातें करने लगे। हम सब सो गये और अगले दिन करीब 8 बजे सुबह सूरी आ गया। हम सबने साथ में चाय पी और फ़िर सूरी मुझे ले कर आ गया।
और अब जब उस मर्द की आवाज आई- और अगर यह वीडियो तुम्हारे घर के लोगों ने देख लिया तब?
वो फ़िर हँसकर बोली- तब क्या ? कुछ नहीं ! उन्हें भी मजा आए देख कर ! कोशिश तो यही करुँगी कि मेरी चुदाई देख कर उनको दूसरी कोई फ़िल्म पंसद न आए और वो बार-बार मेरी वीडियो को ही देखें।
फ़िर आवाज आई- ठीक है ! अब तुम अपने कपड़े उतारो और अपने घर वालों को और हमारे दर्शकों को भी अपने नंगे बदन की नुमाईश कराओ और देखो तुमको चोदने के लिए तीनों मुस्टंडे आ गये हैं। उसने खूब आराम से अपने कपड़े खोले और फ़िर पास आये तीनों मर्दों की तरफ़ बढ़ कर उनके पैन्ट खोल कर उनके लण्डों को बाहर खींच लिया। वो बारी-बारी से उन्हें चूस-चूस कर खड़ा कर रही थी। इसके बाद खूब जम कर उन लण्डों द्वारा उस लड़की की चुदाई हुई, बल्कि उसकी चूची, चूत, चुतड़ और गाल सब पर उसको कई थप्पड़ भी खाने पड़े, पर उसने खूब मजे लेकर चुदवाया। थप्पड़ लगने पर चीखती, फ़िर तुरंत ही उन मर्दॊं को उकसाने लगती और वो सब खूब जोर से उसको पेलते और फ़िर वो कराह उठती।
बड़ी गर्म फ़िल्म थी। मुझ जैसे अनुभवी की नसें गर्म हो गईं तो सानिया साली का क्या हाल हुआ होगा आप सब समझ सकते हैं।
इसके बाद रात को सानिया ने फ़िर मेरे साथ चुदाई का खेल खेला। साली को नई जवानी आई थी सो सब्र ही नहीं था, लगातार चुदा रही थी। दो बार चुदाने के बाद वो सोने की बात की, फ़िर हम दोनों सो गये।
अगली सुबह सानिया नंगी ही उठी और चाय बनाने चली गई। दोनों ने एक साथ बिस्तर पर बैठ चाय पीने के बाद कपड़े पहने और फ़िर रोज की दिनचर्या शुरु हुई। आज मुझे ऑफ़िस भी जाना था।
शाम को घर आने पर सानिया ने एक अनोखी बात कही।
रोज की तरह डीनर के बाद हम दोनों टहलने निकल गए और तभी सानिया ने अपने मन की बात की। उसने कहा कि वो एक बार जैसे रागिनी मेरे घर चुदाने आई थी वैसे ही किसी एकदम अनजान आदमी से चुदा कर देखना चाहती है।
यह सुन मेरा लण्ड एक झटके में खड़ा हो गया। ये साली ढंग से चार दिन नहीं चुदी थी और रन्डी बनने को तैयार थी। मुझे चुप देख वो घबरा गई, बोली- आप अम्मी-अब्बू से यह बात तो नहीं कहेंगे ना प्लीज।
उसके डरी देख मुझे मजा आया, मैं बोला- अरे नहीं बेटी, तुम डरो मत। यहाँ मेरे घर रह कर जो तुम कर रही हो वो बात तुम्हारे घर पर कोइ नहीं जानेगा। मैं तुम्हें बेइज्जत नहीं होने दूंगा।
उसको तसल्ली हुई तो फ़िर बोली- असल में चाचू, जब तक आपके घर हूँ, सब तरह का मजा कर लेना चाहती हूँ, अपने घर तो मुस्लिम कल्चर हैं इसलिए यह सब मजा लेने को नहीं मिलेगा। मैं एक दम अनजान के साथ एक बार सेक्स करना चाहती हूँ कि कैसा लगता है। आप कोई उपाय कीजिए न प्लीज।
मैंने देखा कि साली एक दम चुदास से बहक कर बोल रही है तो कहा- ठीक है देखता हूँ कि क्या कर सकता हूँ, पर तुमको ऐसा करके डर नहीं लगेगा?
वो बोली- यही डर तो खत्म करने के लिए ऐसे चुदना चाहती हूँ। आपके साथ करने में भी तो डर था, पर अपनी अन्डरवीयर दिखा कर पटा लिया ना आपको, अब जब मन होगा आपके साथ तो कर ही लूंगी। अम्मी-अब्बा को ना आप बताएँगे ना मैं।
मैं समझ गया कि अब साली बिना रन्डी बने मानेगी नहीं, तो मैंने सोचा को अब एक बार दलाली मैं भी कर लूँ। सानिया साली जैसी मस्त माल का दलाल बनना भी कम किस्मत की बात नहीं थी।
मैंने सूरी को फ़ोन लगाया-"यार सूरी, एक लड़की है, बहुत मस्त। उसको सिर्फ़ एक बार के लिए बुक कर दो आज-कल में। नहीं-नहीं घंटा वाला नहीं, फ़ुल टाईम। हाँ दिन में भी ( मैंने सानिया से इशारे से पूछा और सानिया ने हाँ की) कर सकते हो। पर उसको मर्द थोड़ा सही देना। बच्ची है। हाँ, अपनी ही समझो, घर की बच्ची है, जरा मस्ती के मूड में है। अरे यार सूरी, नहीं, मैं तो ठीक है पर उसका मन जरा पैसा कमाने का है। नहीं बस एक बार अभी। ठीक है, तुम फ़ोटो ले लो एक उसकी। किधर हो? वाह, फ़िर आ जाओ मेरे घर मैं हूँ, ओके।
मैंने अब सानिया से कहा- सूरी इसी इलाके में है, अभी आ कर तुम्हारी फ़ोटो ले लेगा, फ़िर एक दो दिन में कोई फ़िक्स कर देगा। पर तुम एक बार सोच लो।
सानिया बोली- अभी पूरा एक हफ़्ता है ना अम्मी को आने में ! तब तक तो हो जायेगा ना एक दिन कोई?
मैं उसकी बेताबी देख हैरान था। करीब आधे घन्टे बाद सूरी आ गया। मैंने सानिया को बुलाया। सूरी उसकी सुन्दरता पर दंग था। एक पल के लिए तो सन्न था सानिया के मक्खन बदन से नजर ना हट रही थी साले भड़वे की।
सानिया सर नीचे करके खड़ी थी सामने।
मैंने ही कमरे की शान्ति भंग की- यही लड़की है सूरी, कब तक सेट कर दोगे? मेरे घर तीन दिन है। (मैंने झूठ कहा, ताकि जल्दी काम हो), जिसमें एक दिन तुम इसको ले जा सकते हो।
सूरी बोला (उसकी आवाज हल्का सा लड़की जैसा लगता था)- अरे सर, ऐसी चीज के लिए तो लाईन लगा दूँगा। एकदम फ़्रेश दिख रही है, कहाँ से लाये सर?
उसकी आवाज में शरारत थी।
मैंने कहा- अरे कहा ना घर की लड़की है। यार हमेशा दूसरे की बेटी चोदता हूँ तो फ़र्ज बनता है कि अपने घर से भी थोड़ा दे दूँ दुनिया के लिए।
मैं अपनी ही बात पर हँस दिया।
वो बोला- हाँ सर, हम लोग तो धर्म का काम करते हैं, लड़के को लड़की से मिला देते हैं और लड़की को पैसे दिला देते हैं, दोनों खुश और हम भी खुश।
हम दोनों हँस दिए।
सानिया बोली- मैं पानी लाती हूँ।
और चली गई।
शायद उसको शर्म आ रही थी अब।
मैंने सूरी को बता दिया कि सानिया को मैं रोज चोद रहा हूँ, जब से वो शुरु हुई है, और अब वही चाहती है कि थोड़ा स्वाद बदल कर देखे और पैसा भी कमा ले।
मैंने कहा कि तब मुझे सूरी की याद आई कि क्यों न सूरी भी थोड़ा कमा ले, वर्ना जब लड़की का मन हो गया तो उसको चोदने वाले बहुत मिल जाएँगे।
सूरी मेरा अहसान माना और बोला- सर अगर यह हफ़्ते में एक बार भी आए ना तो मेरा 5000 पक्का हो जायेगा। तभी सानिया पानी ले कर आ गई। सूरी ने उपर से नीचे तक उसको घुरा फ़िर उसके चारों तरफ़ घूम कर उसको सब तरफ़ से देखा, बोला- बहुत सही चीज खोजी है सर आपने ! इसके एक रात की बुकिंग दस हज़ार की करुँगा कम से कम।
फ़िर सानिया से बोला- क्यों ठीक है? 10000 तुमको मिल जायेगा, पर एक बार मेरे साथ करना पड़ेगा फ़्री, मेरा कमीशन यही होगा पहली बार का। उसके बाद तुमको जो मिलेगा उस्का 20% मेरा, और मेरे लिए 500 पर शॉट। मंजूर है तो बोलो?
सूरी थोड़ा भारी बदन का था, और ऐसे तो कोई सेक्सी लड़की उससे नहीं चुदाती, पक्का। सानिया को यह सब समझ नहीं आया ठीक से, तो वो मुझे देखने लगी।
मैंने कहा- अरे बेटी, सब ठीक है, पहली बार करा लो, फ़िर बाद का बाद में सोच लेना। आगे तो तुम्हारी मर्जी है।
सानिया ने हाँ कर दी। सूरी ने उसको टॉप और पैन्ट खोलने को कहा, और फ़िर ब्रा पैन्टी में उसकी अपने मोबाईल में 3-4 फ़ोटो खींची, फ़िर चला गया।
सानिया कपड़े पहनने लगी तो मैंने कहा- क्यों अब सिर्फ़ दस हज़ार देने वाले से ही चुदाओगी क्या, फ़िर मेरा क्या होगा?
बच्ची शरमा गई, और मैं उसको अपने बाहों में उठा कर बेडरूम में आ गया।
आगे की बात आप को पता है, कि क्या हुआ होगा उस माल के साथ जब मेरे जैसा चुदक्कड़ हरामी बिस्तर पर हो तो।
अगले दिन सुबह 8 बजे सूरी का फ़ोन आया- सर, आज दस बजे उसको तैयार रहने बोलिए, कल सुबह तक के लिए बुक किया है उसको। बहुत किस्मत से मेरे एक क्लाईंट का फ़ोन आया अभी। पाकिस्तानी हैं, अबुधाबी में रहते हैं। बाप-बेटा हैं पर एक साथ ही लड़की चोदते है। पूरी दुनिया में बिजनेस है उनका। जहाँ जाते हैं पहले एक दिन सिर्फ़ वहाँ की स्थानीय लड़की चोदते हैं। पैसा बहुत देते हैं सर। उसको बीस हज़ार में बुक किया है, आज दिन और फ़िर रात के लिए। काफ़ी भाग्यशाली है यह माल। पहली बार ही बुड्ढा और जवान दोनों मिल जायेंगे उसको।
सानिया तब बाथरुम में थी। मैंने जब उसको बताया तो वो बहुत खुश हुई।
मैंने कहा- मुझे ट्रीट देना पड़ेगा !
तो वो जवाब में बोली- रोज तो आपको टीट(चुची) देती हूँ, अभी ट्रीट बाकी है क्या?
सानिया ने शब्दों से अच्छा खेला था। फ़िर मेरे ऑफ़िस जाते समय वो भी साथ ही घर से निकली। रास्ते में मैंने सूरी को फ़ोन किया कि सानिया को मैं कहाँ छोड़ूँ !
सूरी ने सानिया को एक चौराहे पर छोड़ने को कहा कि वो खुद सानिया को लेकर के होटल ले जायेगा।
सूरी हम लोग का वहाँ इंतजार कर रहा था। मैंने सानिया को "बेस्ट ऑफ़ लक" कहा और ऑफ़िस के लिए निकल गया।
मेरे दोस्त की बेटी सनिया खान एक टीपिकल मुस्लिम लड़की बनी हुई थी। आज उसने सफ़ेद जौर्जेट का हल्का कामदार सलवार-सूट पहना था और हरे दुपट्टे को सर पर से ओढ़ा था। उसका गोरा चेहरा सुर्ख हो कर दमक रहा था। पूरे आत्मविश्वास के साथ वो मुझे बाय करके सूरी की गाड़ी में बैठ गई।
सूरी ने कहा- सर, सुबह को आठ बजे तक इसकी बुकिंग है, फ़िर एक-सवा घन्टा मैं इसके साथ हूँगा और करीब दस बजे तक मैं इसको आपके घर के पास छोड़ दूँगा।
इसके आगे की बात सानिया के शब्दों में : क्योंकि जब वो लौटी तो अगले एक दिन उसने मुझसे नहीं चुदवाया और इस दौरान उसने जो बताया वही मैं लिख रहा हूँ।
उसने तीन बार नोट-बुक को पढ़ा और फ़िर जब अपनी कहानी से संतुष्ट हो गई तब खुश हो गई कि अब वो भी कहानी लिख सकती है।
तो पढ़िए सानिया की कहानी सानिया की जुबानी !
सूरी मुझे होटल पोल्का में एक स्यूएट में ले गया। वहाँ पहले से ही दोनों मौजूद थे। बाप का नाम था वकार अली खान और बेटे का आसिफ़ अली खान। बेटा 25-26 साल का खूबसूरत मर्द था जबकि बाप 55 साल के करीब होगा, मेरे अब्बा से बड़ा था उमर में पर फ़िट था। बाल सब सफ़ेद हो गये थे पर दिखने में वो भी अच्छा था।
मुझे देख दोनों बहुत खुश हुए और सूरी से कहा- इसीलिए सूरी हम तुम्हें ही खोजते हैं। तुम माल बहुत जानदार लाते हो।
सूरी भी दाँत निकाल कर हँसा और झूठ कहा- सर आपके लिए इसको लखनऊ से बुलवाया है। इसकी मौसेरी बहन सबीहा मेरे साथ टीम में है, वही इसको लाई है। एक दम घर की चीज है सर। आप चखेंगे तो खुद समझ जाएँगे।
वकार अली बोला- देखने में तो हूर है, पर थोड़ा अनुभवी भी हो तो मजा ज्यादा आयेगा। कच्ची लड़की चुदाते समय बहुत ड्रामा करती है।
इस पर सूरी बोला- कच्ची नहीं है सर, घर पर चुदी है, दो-चार बार अपने रिश्ते के एक चाचा से। सबीहा के साथ तो हमेशा ही मजे करती है, जब सबीहा इसके घर जाती है।
फ़िर मुझसे कहा- तुम भी बोलो न, सर जो कह रहे हैं तो बात करना चाहिए।
फ़िर उन दोनों से बोला- पहली बार आज होटल में आई है सर, इसलिए शायद सकपका रही है।
आसिफ़ चुपचाप बैठ कर मुझे घूर रहा था, उसके अब्बा ही सारी बात कर रहे थे। उन्होंने सूरी को एक बीयर ऑफ़र किया और मुझसे पूछा- तुम भी लोगी क्या?
तो मैंने मना कर दिया। सूरी ने जब तक बीयर पी, वकार ने पैसे उसको दे दिए।
सूरी ने मुझसे पूछा- पैसे तुम रखोगी?
मैंने ना में सर हिला दिया, तो वो सब पैसे अपने साथ ले कर निकल गया कि वो अब कल सात बजे आ जायेगा।
सूरी के जाने के बाद वकार ने मुझसे मेरा नाम पूछा तो मैंने अपना असली नाम सानिया खान बता दिया।
उन्होने फ़िर पूछा- पठान हो?
मैंने हाँ मे सर हिलाया तो पहली बार मुझे छुआ उन्होंने। मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर बोले- डरो मत, इस तरह चुप मत रहो। बात करो ! तुम तो चुदा चुकी हो, तुम्हें सब पता है। तुम्हारी मर्जी है ना इस काम की, या सूरी किसी मजबूरी में पकड़ लाया है?
मैंने कहा- ऐसी बात नहीं है। मुझे यह सब करने में मजा भी बहुत आता है।
अब आसिफ़ पहली बार बोला- कुछ खाओगी, मँगाऊ?
तो मैंने कहा- मैं नाश्ता करके आई हूँ।
वकार अब बोले- आसिफ़ बेटा, ले जाओ इसको बेड पर और तुम्हीं पहले चोद लो इसको, जवान हो तुम बार बार चोद सकते हो। मैं शाम में एक बार चोदूँगा। साढ़े ग्यारह बज गए हैं, डेढ़ बजे के लिए लंच ऑर्डर कर देता हूँ।
ओके अब्बू ! कहते हुए असिफ़ उठ गया।
वकार ने रुम सर्विस को ऑर्डर किया- चार बीयर अभी और खाना डेढ़ बजे।
आसिफ़ बेडरूम के दरवाजे पर पहुँच कर मुझे बोला- आ जाओ सानिया डार्लिंग !
और मैं भी उठ कर पीछे पीछे चल दी। वकार हँसते हुए पास आया और मेरा दुपट्टा मेरे बदन से खींच लिया, कहा- पहले बुजुर्ग से इजाजत लो बेटी !
मैं सिटपिटा गई, तो वो हँसा और मेरे चेहरे पर नजर गड़ा कर कहा- जाओ और मेरे बेटे को अपने बदन का पूरा मजा दो।
आसिफ़ अब बोला- अब्बूज़ान, आप इसको ठीक से चेक कर लो ना पहले। तब तक मैं जरा फ़ारिग हो ही लूँ ! फ़िर जरा जम के लूटूँगा इसे। ऐसी मस्त हूर जैसी चीज हरदम नहीं मिलती !
और उसने पेट पर हाथ फ़ेरा कि उसे टट्टी जाना है। मुझे कहा- जाओ अब्बूज़ानी का एक बार चूस कर खाली कर दो।
मुझे समझ आ गया कि ये दोनों बाप-बेटे मिल कर आज मुझे एक बार की बुकिंग में ही रन्डीपने की डिग्री देने लायक पढ़ा देंगे। मेरी चूत गीली होने लगी।
आसिफ़ बाथरुम चला गया और वकार ने इशारे से मुझे अपने पास बुलाया और अपने पजामे की डोरी को ढीला कर दिया। साफ़ था कि मुझे अब उसका लण्ड चूसना था।
मैंने पजामा नीचे खींच दिया। उसका लण्ड लगभग सिकुड़ा हुआ था, करीब 5"। थैली भी ढीली थी, पर बड़ी थी और उसके भीतर का दोनों गोटी साफ़ दिख रहा था फ़ूली हुई। लण्ड के चारों तरफ़ बड़ी-बड़ी झाँटे थी और उसमें से कई बाल सफ़ेद थे। लण्ड का सुपारा भी थोड़ा सफ़ेद रंगत लिए था।
मैंने लण्ड हाथ में लिया और मुँह में डाल चूसने लगी। वकार का वो इलाका हल्के पसीने की खुश्बू या बदबू से भरा था, पर मुझे तो ये सब कहना नहीं था। धीरे-धीरे लण्ड में ताव आने लगा। जब वो 6" का हो गया तब वकार बोला- बेटा अब तुम भी कपड़े हल्के कर लो। तुम्हारे तराशे हुए बदन को देख यह साला जल्दी निपट जायेगा।
मैं उठी और कुर्ते के ऊपर के दो बटन खोल कर उसको अपने सर के ऊपर से निकाल दिया। फ़िर मैंने अपनी सलवार को खोला और अपने पैरों से बाहर कर दिया।
वकार सब देख रहा था। मैंने अब अपनी सफ़ेद शमीज भी उतार दी। फ़िर पहली बार वकार से नज़र मिलाई। अभी मेरे बदन पर एक सफ़ेद ब्रा और काली पैन्टी थी। मैंने अपना हाथ पीछे किया और ब्रा का हुक छुआ हीं था कि वकार बोला- अब रहने दो, कुछ आसिफ़ के सामने खोलना।
मैं रुक गई और एक बार फ़िर उसका लण्ड चूसने लगी। वो अब मेरे पीठ और चूचियों पर अपने हाथ घुमा रहा था। मेरा बदन हल्की सिहरन से भर रहा था और चूत भी गीली हो रही थी। वो मेरे लण्ड चूसने की कला की दाद देता और मैं और जोर से चूसती।
तभी आसिफ़ आ गया और पास आकर मेरी ब्रा का हुक खोल दिया, जिसके बाद उसके अब्बा का हाथ अब मेरे चुचूक से खेलने लगा और मैं सिसक उठी।
वकार यह देख आसिफ़ से बोला-"बहुत ताज़ा माल दिया है सूरी इस बार, पूरा पैसा वसूल।
वकार अब छुटने वाला था, तब वो बोला- तुमको मेरा सारा मणि खा जाना है।
मेरे लिए यह कोई नई बात नहीं थी, पर यह शब्द नया था, शायद पाकिस्तान में वीर्य को मणि बोलते हैं। मुझे तो हिन्दी के शब्द ही आते थे। मैं मुँह खोल कर सामने जमीन पर बैठ गई और वकार ने हाथ से अपना लण्ड हिला-हिला कर पिचकारी मारी। छः बार में सारा वीर्य मेरे मुँह में डाल दिया जिसे मैं चाट गई।
अब उसने मेरा मुँह चूम लिया और बोला- अब जाओ और आसिफ़ से चुदो अच्छे से।
वकार अब छुटने वाला था, तब वो बोला- तुमको मेरा सारा मणि खा जाना है।
मेरे लिए यह कोई नई बात नहीं थी, पर यह शब्द नया था, शायद पाकिस्तान में वीर्य को मणि बोलते हैं। मुझे तो हिन्दी के शब्द ही आते थे। मैं मुँह खोल कर सामने जमीन पर बैठ गई और वकार ने हाथ से अपना लण्ड हिला-हिला कर पिचकारी मारी। छः बार में सारा वीर्य मेरे मुँह में डाल दिया जिसे मैं चाट गई।
अब उसने मेरा मुँह चूम लिया और बोला- अब जाओ और आसिफ़ से चुदो अच्छे से।
मैं उठी तो आसिफ़ ने मेरी पैन्टी खींच दी, कहा- इतना सा बदन अब्बू से क्यों छुपा रही हो, सब दिखा दो एक बार फ़िर चलना।
मैं उठी और अपना पैन्टी खोल दी। आज सुबह ही जब मुझे चाचू ने बताया तो अपने झाँट को साईड से साफ़ की थी, जिससे 1" चौड़ी पट्टी में पिछले 5-6 दिन में उगे छोटे-छोटे काले-काले झाँट मेरी गोरी बुर की खूबसूरती को और बढ़ा रहे थे।
मेरी ऐसी मस्त चूत देख दोनों के मुँह से एक साथ आह निकली और फ़िर निकला- सुभानल्लाह !
आसिफ़ बोला- अब चल पहले चोदूँ तुमको वरना अफ़सोस होने लगेगा कि देरी क्यों की।
मैं बोली- पहले बुर को धो लूँ, बहुत गीली हो गई है और रास्ते में आते समय गर्मी से थोड़ा पसीने की भी बदबू आ रही है।
मुझे तो वकार के पसीने की बू याद आ रही थी। पर आसिफ़ की बेकरारी में कोई फ़र्क नहीं पड़ा, बोला- अबे चल, जवानी लौन्डी की बुर के पसीने की बू से यार लोग का लौड़ा ठनक जाता है। अभी तक घर में चुदी है ना, इसीलिए बदबू/खुश्बू की बात करती है। कुतिया की चूत से बदबू कभी नहीं आती। अपने अब्बा के देखते झुका और चूत की फ़ाँक से शुरु करके हलके झाँटों वाली पट्टी तक अपने जीभ से चाट लिया।
मेरा बदन गुदगुदी से भर गया। उसने एक चपत मेरे चूतड़ों पर लगाई और बेडरुम की तरफ़ बढ़ गया।
बिस्तर पर लिटा वो मेरे चूत के पीछे पड़ गया। लगातार जोरदार तरीके से चाटा, या कहिए खाया उस पूरे इलाके को। मेरे मुँह से अजीब-अजीब आवाज निकली, जो पहले नहीं निकली थी और मैं एक बार झड़ी तो उसने पूरी बुर उँगली से खोल चाटा। मैं शान्त हो गई थी। पर आसिफ़ पक्का हरामी था। उसने अब अपनी पैन्ट खोली और पहली बार मैंने उसके लण्ड को देखा। नौ इन्च से कम न था, गहरा भूरा और खूब मोटा। उसकी चमड़ी देख लगा नहीं था कि उसका लण्ड इतना काला होगा। मुसलमान था, सो खतना किया हुआ था और उसके लण्ड की चमड़ी उसके आधे लण्ड से ज्यादा नहीं पहुँच रही थी।
मैं एक बार झड़ कर शान्त लेटी थी, इतनी मस्ती कभी मिली नहीं थी पहले। शायद माहौल का असर था। पर आसिफ़ का इरादा कुछ और था। उसने बिना कुछ बोले मेरे पैरों को फ़ैलाया और ऊपर चढ़ गया। मैं जब तक कुछ समझूँ उसने मेरे चूत में अपना लण्ड ठांस दिया। दो धक्के में पूरा नौ इन्च भीतर। मैं दर्द से बिलबिला उठी- उईईई माँआँआआँ, छोड़ो मुझे प्लीज !
आज पहली बार चुदाते समय अम्मी याद आई और आँखों में आँसू आ गए। आसिफ़ बोला- अब चुप भी कर साली रन्डी ! दलाल को बीस हज़ार देकर चलता कर दिया और अब चुदाने में नानी मर रही है? ज्यादा नखरे ना कर और आराम से चुद पहले। ऐसे ही लण्डों की बदौलत तो तू बाज़ार की रानी बनेगी एक दिन।
मैं रोने लगी थी, सोचा था कि सब, चाचू ने जैसे रागिनी को चोदा था, वैसे चोदते हैं।
रागिनी की बात सब याद आई।
पर मुझे रोता देख आसिफ़ प्यार से समझने लगा- देख चुप हो जा, अभी तू नई है, इसलिए तकलीफ़ है, पर तू तो चुदी हुई है पहले से, फ़िर क्यों डर रही है? आम लोगों से मेरा थोड़ा बड़ा है पर अपनी तरह का अनोखा मजा देगा जब भीतर तक धक्के खाएगी तू। पहले मेरे दो-चार धक्के बर्दाश्त कर ! फ़िर खुद से फ़ुदक फ़ुदक कर मरवायेगी अपनी चूत !
सच ! जल्दी ही मेरी बुर उसके इस भारी भरकम लण्ड के धक्के बर्दाश्त कर के एक बार फ़िर पानी छोड़ने लगी और कमरा हच-हच, फ़च-फ़च की आवाज से भर गया।
दस-बारह मिनट मेरी चूत ठोकने के बाद आसिफ़ ने लण्ड बाहर खींचा और कहा- चल चूस अब इसको।
मैं हिचक रही थी क्योंकि लण्ड पर मेरे चूत का गीलापन लगा हुआ था। एक बार चेहरा पास ले गई पर मन न हुआ, बोली- इसमें से कैसी खट्टी सी बू आ रही है।
आसिफ़ हँसा-"अबे, यह बू ही तो खुशबू है, बताया था न तुझे। और यह खट्टी बू तेरी ही मस्त चूत की है। अब आजा बच्ची ! देर ना कर ! अभी तुझे पीछे से ठुकना बाकी है।
मैंने लण्ड मुँह में डाला और खुद की चूत के पानी का स्वाद लिया। पाँच मिनट में बिना कोई चेतावनी के आसिफ़ मेरे मुँह में झड़ गया और बोला- बिना रुके चूसती रह।
उसका लण्ड हल्का सा ढ़ीला हुआ और फ़िर जल्द ही टनटना गया। इस बार आसिफ़ ने मुझे पलट दिया और जैसे कुत्ता कुतिया पर चढ़ कर चोदता है, वैसे मुझे चोदा। हर धक्के पर मस्ती से मैं कराह उठती और वो आवाज सुन एक और धक्का और जोर से देता। ऐसे ही मैं थकने लगी और धीरे-धीरे बिस्तर की तरफ़ झुकने लगी। जल्द ही मैं लगभग बिस्तर पर पेट के बल हो गई, और आसिफ़ मेरे ऊपर लेट मेरी चुदाई करता रहा। मेरे नीचे हो जाने से उसको अब परेशानी हो रही थी धक्का लगाने में, तो बोला- चल अब पलट, सीधी हो। इस बार की ठुकाई में तेरी चूत को भर देता हूँ मणि से।
अब मुझे याद आया कि ऐसा तो मैंने सोचा न था, अब अगर इसके वीर्य से मुझे बच्चा रह गया तो। पर मैं कुछ बोलने की हालत में न थी। बस एक बार अल्लाह को याद किया और सीधी हो कर पैर खोल कर ऊपर उठा दिए। आसिफ़ ने अपने लण्ड को तीन बार मेरे चूत की ऊपर की घुन्डी पर पटका। उसकी चोट मुझे एक अजीब सी मस्ती दे रही थी कि तभी उसने एक झटके में पूरा नौ इन्च भीतर पेल दिया।
मैं अब आआह उउउउह इइइस्स्स हुम्म्म्म्म जैसी आवाज कर रही थी। मैं एक बार और झड़ चुकी थी पर आसिफ़ अपनी धुन में मुझे चोदे जा रहा था। फ़िर 5-6 तगड़े झटके के साथ उसके वीर्य ने मेरी चूत की प्यास बुझा दी। आसिफ़ ने अपना लण्ड भीतर ही घुसा कर रखा था।थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही शान्त पड़ रहे फ़िर उसने अपना लण्ड निकाला और मेरे मुँह में डाल दिया- साफ़ कर चाट कर इसे मेरी कुतिया !
और प्रोफ़ेसर जमील अहमद खान की प्यारी इकलौती बेटी बीस हज़ार लेकर एक रन्डी की तरह चुदाने के बाद अब लण्ड पर लगे हुए वीर्य को चाट रही थी।
तभी बाहर से वकार ने आवाज लगाई- अब खत्म करो भाई ! एक से ज्यादा बज गए, खाना आ जायेगा अब। थोड़ा आराम भी करो खाने से पहले।
करीब डेढ़ घंटे से मैं लगातार चुद रही थी। अब मुझे लगा कि हाँ, यह अनुभव हमेशा याद रखने वाला है।
मैं उठी और सिर्फ़ सलवार और शमीज पहन ली। तभी रुम-सर्विस खाना ले आया। दोनों वेटरों के लिए यह सब देखना नई बात नहीं थी।
मेरी सलवार और शमीज के बीच से करीब 5" के सपाट पेट पर उन वेटरों की नज़र बार-बार जा रही थी। 20-22 साल के नौजवान वेटरों को दिखा कर जमीन पर पड़ी हुई अपनी ब्रा और पैन्टी उठाई। मेरे झुकने से उनको मेरी सुन्दर चूचियों की झलक मिल गई।
चूत में जो वीर्य भरा हुआ था अब हल्के-हल्के बाहर आने लगा था। मैंने सब को दिखा कर अपनी सलवार की मियानी से अपनी चूत को पौंछा और फ़िर गीली हुई मियानी को देख कहा- भीतर निकाल दिया, देख लीजिए, कपड़े खराब हो गए।
वकार हँस दिया- अरे बच्ची, अगर पेट से रह जायेगी तो पूरा ताजमहल बिगड़ जायेगा और तू कपड़े की चिन्ता कर रही है।
बेशर्म बूढ़ा मेरी फ़िगर की बात कर रहा था। मुझे अब उन दोनों के साथ मजा आ रहा था। आसिफ़ मेरे बदन की खूब तारीफ़ कर रहा था और उसका बाप मजे लेकर सुन रहा था, फ़िर पूछा- तुझे मजा आया ना बेटा इसको चोद कर?
आसिफ़ खुशी से बोला- बहुत अब्बा, चूत तो बिल्कुल कसी हुई है। पर लौन्डिया मस्त है, आँखों से आँसू निकल आए जब दो ही धक्कों में पेल दिया था पूरा भीतर। यह रान्ड साली इतनी सुन्दर है कि मैं बेकाबू हो गया। पर क्या मस्त चुदी अब्बा, अम्मीजान की कसम मजा आ गया।
हम सब ने साथ खाना खाया और वकार ने कहा कि मैं दो घन्टे आराम कर लूँ। क्योंकि शाम की चाय के पहले वह मुझे चोदेगा और फ़िर रात में तो मुझे लगातार चुदना है। मैं भी आराम से बेड पर जा कर आराम करने लगी और मुझे नींद आ गई।
करीब साढ़े चार बजे मुझे लगा कि कोई मेरा चेहरा सहला रहा है, तो हड़बड़ा कर उठी।
वकार बिल्कुल नंगा मेरी बगल में लेटा हुआ था। मुझे जगा हुआ देख वो मेरे मुँह को चूमने लगा और फ़िर अपने मुँह से ढ़ेर सारा थूक मेरे मुँह में गिरा दिया। मैं इसके लिए तैयार नहीं थी, पर वो मेरी हकबकाहट देख खुश हुआ और बोला- निगल ले मेरा थूक, जब मेरा मणि खा सकती है तो मेरे थूक से क्या परेशानी।
मुझे अब समझ आ या कि मैं तो उसके लिए एक रन्डी थी, और मुझे वही करना था जो वो कहे।
मैं जब य्हूक निगल गई तो वो मेरे ऊपर चढ़ कर लेट गया, मुझे अपने बदन से पूरी तरह से दबा कर और फ़िर से मेरे होंठ चूसने शुरु कर दिए। फ़िर पलट गया और वो नीचे था, मैं ऊपर ! होंठ से होंठ मिले हुए।
तभी वो मेरे चूतड़ सहलाने लगा और फ़िर अचानक मेरी सलवार की मियानी पकड़ कर उसे एक झटके से करीब 4" फ़ाड़ दिया।
मैं चौंक गई- हाय अल्लाह, अब मैं घर कैसे जाउँगी?
मैं एकदम से परेशान हो गई और बिस्तर पर बैठ गई। वकार मेरी बेचैनी देख हँस पड़ा, बोला- क्यों ? फ़टी सलवार पहन कर जाना, अम्मा खुश होएगी। इतना सज धज के आई है तो तेरी अम्मी को पता तो चले कि बेटी सही से चुदी, क्यों?
उस हरामी को कहाँ पता थी कि मेरे अम्मीजान को जरा भी अंदाजा न था कि बेटी रन्डी बन चुद रही है। पर ऐसी मजबूरी में मेरी आँख फ़िर नम होने लगी, तभी वह बोला- अरे खुश हो जा, तुझे नये कपड़े में विदा कर देंगे। आसिफ़ को भेजा है, तेरे लिए नये कपड़े लेने। इससे अच्छे कपड़े में घर जाना।
मेरे चेहरे को अपने हाथ में पकड़ बड़े प्यार से पूछा- अब तो खुश है तू। देख अगर तू दुखी होगी तो चोदने का मजा कम हो जाएगा। अरे तू इतनी हसीन है, जवान है कि तेरे साथ शरारत करने का मन बन गया। अब हँस भी दे।
उसके ऐसे मनाने से मुझे दिल से खुशी हुई और मैं मुस्कुरा दी।
वो भी मुस्कुराया- जवान लौन्डिया को कपड़े फ़ाड़ कर चोदने में जो मजा है वो किसी चीज में नहीं है।
और मेरे छाती पर हाथ रख मेरी शमीज को भी चीर दिया। मेरी दोनों चूचियों को देख हल्के से उन पर चपत लगाया तो वो हल्के से हिल गए। उनके हिलते देख वो खुशी से बोला- देख कैसे ये कबूतर मचल रहे हैं और 3-4 चपत और लगा दए। इसके बाद उसने मुझे पूरी तरह से नंगा कर दिया और मेरी चूत चूसने लगा। धीरे-धीरे मुझमें मस्ती छाने लगी और तब मुझे मस्त देख बुढ़्ढ़ा मेरे पैरों के बीच आ अपना लण्ड मेरी चूत में घुसा कर धक्के लगाने लगा। बीच-बीच में चूची पर चपत भी लगा रहा था और मैं मस्त थी।
थोड़ी देर बाद वो लेट गया और मुझे ऊपर से उसके लण्ड की सवारी करनी पड़ी। 2-3 मिनट बाद वो फ़िर मुझे नीचे लिटा दिया और ऊपर से मुझे चोदने लगा। वो अब तेजी से धक्के लगा रहा था और मैं मस्त हो गई थी। तभी लगा वो झड़ रहा है। 4-5 झटके के बाद उसका माल मेरी चूत में निकल गया। वो मेरे ऊपर लेट मुझे चूमने लगा फ़िर उठा और बोला- जाओ, अब हाथ मुँह धो लो। खाकर सो गई थी सो मुँह से हलकी बास आ रही है।
मुझे याद आया कि मुझे उठने के बाद मौका ही नहीं दिया था साला हरामी। तभी आसिफ़ लौट आया एक बड़ा सा पैकेट ले कर और हम दोनों को नंगा देख पूछा- चोद लिया इसको अब्बू?
वकार बोला-"हाँ बच्चे, गीले खेत में बीज डाल दिया इस बार।
यह सुन मैं मस्त हो गई, और थोड़ी चिंतित भी। मैं बाथरुम में चली गई।
मैं जब नहा कर आई तो आसिफ़ मेरे साथ सेक्स करने के लिए तैयार था। एक बार मुझे उसने अपने अब्बू के सामने चोदा और फ़िर मुझे वो पैकेट दे दिया कि अब मैं ये कपड़े उन बाप-बेटों के सामने पहनूँ।
मैं नंगी ही उठी और बाथरुम में जा कर अपने आप को साफ़ किया फ़िर नंगी ही लौटी और पैकेट खोला। उसमें एक खूबसूरत सा गुलाबी सिल्क का जरी-काम वाला डिजायनर सलवार-सूट था और एक लाल रेशमी धागे से काम किया हुआ मैरून रंग का ब्रा-पैन्टी का सेट।
मैंने एक-एक कर के कपड़े पहने और आसिफ़ सामने खड़ा हो कर मेरे बदन और मुझे कपड़ों को एक-एक कर पहनते हुए अपने मोबाईल फ़ोन से वीडियो बनाता रहा। हम सबने रात का खाना खाया। वो दोनों भी थक गये थे, सो अब हम सब बैठ कर टीवी देखने लगे और इधर-उधर की बातें करने लगे। हम सब सो गये और अगले दिन करीब 8 बजे सुबह सूरी आ गया। हम सबने साथ में चाय पी और फ़िर सूरी मुझे ले कर आ गया।
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